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दिल का आलम मैं न बयाँ कर पाऊँगी
दिल का आलम मैं न बयाँ कर पाऊँगी
मैं न बयाँ कर पाऊँगी
शोर शराबे से दूर कहीं खुद को ले जाऊँगी
तन्हाई में कोई गीत गुनगुना
अपने दिल को मैं बहला जाऊँगी
दिल का आलम मैं न बयाँ कर पाऊँगी

किसी ने कुछ कहा तो क्यों कहा
इसके पीछे वजह क्या थी
क्या सच में जैसा कहा वैसी ही हूँ
या फिर अपने आप से हारी हूँ मैं
या फिर जैसा जिसने कहा वैसी हूँ
अरे अरे ऐसी बात नहीं
अपने आप से भला कैसे मैं हार जाऊँ
दिल का आलम मैं न बयाँ कर पाऊँगी

ऐसे कैसे कोई कुछ भी समझे
कोई फुटबॉल थोड़ी न हूँ
जो ठोकर पे ठोकर खाऊँगी
चल दिल तू बेकार के गीतों में न उलझ
कभी तो अपने आप को तू समझ
ए दिल तू तो बच्चा है
अक्ल का अभी थोड़ा कच्चा है
तुझमें तेरे तजुर्बे में अभी थोड़ा फासला है
अच्छा बुरा सब लेकर चलना पड़ता है
दुनिया की टेढ़े मेढ़े राहों से
कभी कभी लड़ खुद को साबित करना पड़ता है
दुर्गम रास्तों पे भी कभी कभी
अकेले चलना पड़ता है
अब किन बातों में तू उलझा है
तुझे तो पता है
दिल का आलम मैं न बयाँ कर पाऊँगी

देख इस नाजुक से दिल के साथ खिलवाड़ न कर
अपने आप पे थोड़ा तो विश्वास रख
अब किस सोच में डूबा है
कल किसने देखा है
तू अपने आज पे तो विश्वास रख
हो सके तो खूबियों पे अपने तू विश्वास रख
बुराईयों को नजरअंदाज कर
बस ए दिल तू सदैव खुश रह कर
मायूस लोगों की खुशियों का उपचार कर
एक इसी बात के लिए
तू अपने आप को तैयार कर
एक इसी बात के लिए
तू अपने आप को तैयार कर
अब फिर कभी न कहना
दिल का हाल मैं न बयाँ कर पाऊँगी
तू मान मेरा कहना ये दिल ही तो है तेरा गहना
© Manju Pandey Choubey