...

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मेरी पुरानी कविता
सुनो मेरी ये पुरानी कविता,
जो छू लेती है दिल की बातें जब मैं छुपा।

जीवन की राहों में चलते-चलते,
खो गई थी मैं कहीं, खुद से मिलते-मिलते।

सपनों की दुनिया में खोकर,
खो गई थी मैं, अपनी मंजिल तलाशते-तलाशते।

पल-पल की चिंगारी से जलते हुए,
रातों की चादर में लिपटी रोते-रोते।

पर आज फिर से उठी हूँ मैं,
अपनी कल्पनाओं को जीने की राह पर चलते-चलते।

यह कविता मेरी पुरानी है,
पर नई उम्मीदों के संग लिखते-लिखते।

बस एक इरादे से है भरी,
जीने की राहों में चलते-चलते।

ना डर है, ना है हार,
मेरी ये पुरानी कविता है, खुद से प्यार।
© Simrans