...

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कर्म भूमि
पल पल बीत चुका है जो पल
याद किए ना जाए और ना भुलाए जा नहीं रहे।

छन छन भर में देख कई रंग बदलते किरदार।।

कुछ टूट सा रहा हैं जान

पर संभाल ख़ुद को

आगे राहो में बिन दग मगाये
किसी ना उम्मीद कर
उलझा हुआ रिश्ता का गाठ सा गटरी
सब देखें खेल सामिल हो गया हो जग जाहिर तौर नाता जोड़ कहने लगे
जो सोचा देखा
जो होगा सब कुछ ठीक ठाक होगा
कर्म तय हो
फल प्राप्त होता हैं

सारे सुख शांति वार्ता सम्बन्ध स्थापितकिया दिखाएं झांकी सजाई जाती हैं गाडियां बन एक दिन छोड़ सब नए राह कि और निकल परते है

अपना साथी कर्म करना वही जाता हैं साथ पल पल
यह ही कर्म भूमि अपना फ़र्ज़ अदा कर दिया गया वरदान साबित हो उम्मीद छोड़ लागा ध्यान केंद्रित तीसरी शक्ति में।।




बबिता कुमारी