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यादों के पतझड़ में
यादों के पतझड़ में खो गई हूं,
खुशबू बिखरी हुई खिड़कियों में भटक रही हूं।
वो लम्हे जिन्हें भूलना चाहती थी,
वो यादें अब दिल में बसी हुई हूं।
पत्तों की छाया और हवा की लहर,
दिल की धड़कनों में सुनाई देती हूं तेरी धड़कन।
यादों के पतझड़ में खो गई हूं,
तेरी यादों की छाँव में जीवन जी रही हूं।
© Simrans
खुशबू बिखरी हुई खिड़कियों में भटक रही हूं।
वो लम्हे जिन्हें भूलना चाहती थी,
वो यादें अब दिल में बसी हुई हूं।
पत्तों की छाया और हवा की लहर,
दिल की धड़कनों में सुनाई देती हूं तेरी धड़कन।
यादों के पतझड़ में खो गई हूं,
तेरी यादों की छाँव में जीवन जी रही हूं।
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