...

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माया पृथ्वी की
इस पृथ्वी की तो माया अलग है ,
कहीं नदी है कहीं पहाड़ ,
कहीं रेत है कहीं चट्टान ,
कहीं हरा है कहीं उजाड़ ,
इस पृथ्वी की तो माया अलग है||
इस जल की भी माया अलग है ,
कहीं पर शीतल कहीं क्रूर है ,
कल-कल कर यह बहता है ,
कहीं-कहीं पर झाग उगलता जाता है||
इस रेत की भी माया अलग है ,
कहीं गर्म है कहीं पर ठंडा है ,
पानी डालो गट कर जाता कहीं-कहीं पर हवा बनकर उड़ जाता है||
इस हरियाली की भी माया अलग है ,
कहीं हरा यह कहीं रंगीन है ,
सुंदरता से लहराता है कहीं-कहीं तो शोर मचाता जाता है||
पवन , अग्नि ,जल से यह दुनिया बनी है ,
हम भी इस नियम से बंधे हुए हैं ,
कहीं सुख है तो कहीं दुख है ,
यही प्रकृति का नियम है||

-तान्या मौर्य
sjs पब्लिक स्कूल गौरीगंज अमेठी