...

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यदि न होते आप मेरे मीत
यदि न होते आप मेरे मीत,
जीवन मे न होते मेरे गीत।
आपके बिना नही मेरी हयात,
आप हो मेरी धङकन आप हो
मेरी स्वास।

आपके बिना हम कुछ भी
नही थे,
बेखुदी में अकेले जी-मर रहे थे।
मिला जो हमको आपका साथ,
मेरे दिल को मिला एक नया
एहसास।

आपके लिए नित लिखूं नए
नगमे,
आपकी मोहक छबि को बसा
लू नयनन में।
आपके मुस्कान से खिल उठा
मेरा रोम-रोम,
आपका सानिध्य पाकर सर्वस्व
किया मैंने समर्पण।

आपके सामिप्य की आभा
नर्म दूब सी,
आप हो कोमल क्यारी केसर
की।
आपके शाश्वत प्रेम का करके
आलिंगन,
हे! सुखवनिता खिल उठा मेरा
आनन।

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® आलोक पाांडेय
गरोठ, मंंदसौर, (मध्यप्रदेश)
तिथि –२१ /०७ /२०२२

विक्रम संवत २०७९

© Alok1109Archana