हर सुबह की होती अपनी कहानी है
नित नए अध्याय लेकर चलती यह ज़िंदगानी है,
कहीं झुलसाती आग तो कहीं होता शीतल पानी है।
कभी दिन यह कटते हैं थके थके से कदमों से,
कभी वक़्त की चाल में होती ग़ज़ब सी रवानी है।
मान बैठे किसी चीज़...
कहीं झुलसाती आग तो कहीं होता शीतल पानी है।
कभी दिन यह कटते हैं थके थके से कदमों से,
कभी वक़्त की चाल में होती ग़ज़ब सी रवानी है।
मान बैठे किसी चीज़...