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गंगा...
हिंदू धर्म में गंगा को बहुत ही पवित्र नदी माना जाता हैं इसे देवनदी भी कहते हैं क्योंकि मान्यता के अनुसार गंगा स्वर्ग से उतरकर धरती पर आई है ऐसा कहते हैं कि जो एक बार गंगा स्नान कर लेता है इसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं

तो चलो गंगा पर कुछ पढ़ते हैं
हिंदू मान्यता के अनुसार मृत पूर्वजों की अश्तिया गंगा नदी में प्रवाहित करने से उनकी आत्मा को शान्ती मिलती है इस मान्यता से जुड़ी एक कथा है जो इस प्रकार हैं
गंगा नदी से जुड़ी रोचक कथा
महाभारत के अनुसार देवनदी
गंगा का विवाह हस्तीना पुर के राजा शांतनु से हुआ था विवाह के समय देवी गंगा ने राजा से वचन लिया की वे कभी भी उनसे कोइ प्रश्न नहीं पूछेंगे ओर न ही उन्हे कोई काम करने से रोकेंगे राजा ने बिना सोचे समझे वचन दे दिया कुछ समय बाद जब देवी गंगा ने एक पुत्र को जन्म दिया तो उसे उन्होंने गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया ये देख कर राजा शांतनु को बहुत आश्चर्य हुआ ओर दुःख हुआ लेकीन वचन में बंधे होने के कारण वे न तो गंगा को रोक पाए और न ही उसका कारण जान पाए इसके बाद भी देवी गंगा ने अपने 6 अन्य पुत्रो को भी एक के बाद एक गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया हर बार राजा चुप रहें लेकीन जब गंगा अपने 8वे पुत्र को नदी में प्रवाहित करने जा रही थी तब राजा ने उन्हे रोक लिया और क्रोध में आकर इसका कारण पुछा
तब देवी गंगा ने उन्हे बताया कि आपके ये सारे पुत्र बशु नामक देवता हैं जो इक श्राफ के कारण मनुष्य रूप में आए हैं मेने ही उन्हे वचन दीया था जन्म लेते ही में उन्हे श्राफ मुफ्त कर दूंगी इसलिए में अपनें सारे पुत्र को गंगा में डाल देती हूं ताकि उन्हे इस मृत्यु लोक से छुटकारा मिल जाए राजा ने सवाल पूछ कर अपना वचन तोड़ दिया जिसके चलते देवनदी गंगा अपने आठवें पुत्र को अपने साथ लेकर वहां से चली गई
युवा होने पर गंगा ने उन्हे ये संतान राजा को सॉफ दी राजा की यह आठवी संतान महात्मा भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुई
ऐसी मान्यता है कि जिस तरह देवी गंगा ने अपने पुत्रो को गंगा नदी में प्रवाहित कर स्राफ मुक्त किया था जिससे उन्हे स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी
उसी तरह मृत परिजनों की अस्थियां गंगा नदी में प्रवाहित की जाय तो उन्हे भी स्वर्ग प्राप्ति होगी और उनकी आत्मा को शांति मिलेगी
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