संघर्ष कै बिना सफलता कठै ........भाग 1
देखो री ,केड़ो जमानों आयो हैं छोरिया भी जावण लागी कमाबा । अर वे भी शहरा मै
सुणयो है , चोखी कमाई होवै है , जद हि तो मर्द घरा न बैठ मौज उड़ावै हैं।
अरी हां, मौज हि उडावैला , कमावै जद तो पसीनो आवै हैं पसीनों।
आज फेर कमला कै नळ पे जाता ही ऐ बाता शुरु होणी होगी , मन नै कोसती कमला बिना पाणी भरया ही पाछी घरा न आगी।बिचारी ओर करती भी काई पति कै गुजरया बाद बेटी ही तो सम्भाळ रही छी घर - बार , बेटा न तो आवारागर्दी सु ही फुरसत कोनी मिले दोस्ता रा सागे पिकै ढोला मारु पड्यो रेवै हैं नाळया मै
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सुणयो है , चोखी कमाई होवै है , जद हि तो मर्द घरा न बैठ मौज उड़ावै हैं।
अरी हां, मौज हि उडावैला , कमावै जद तो पसीनो आवै हैं पसीनों।
आज फेर कमला कै नळ पे जाता ही ऐ बाता शुरु होणी होगी , मन नै कोसती कमला बिना पाणी भरया ही पाछी घरा न आगी।बिचारी ओर करती भी काई पति कै गुजरया बाद बेटी ही तो सम्भाळ रही छी घर - बार , बेटा न तो आवारागर्दी सु ही फुरसत कोनी मिले दोस्ता रा सागे पिकै ढोला मारु पड्यो रेवै हैं नाळया मै
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