बेटियाँ
ज़न्म हुआ जब मेरा ,घर में मातम सा छाया था
तंज कस रही थी दादी , दादा ना गोद उठाया था
रो रही थी आँखे पिता की, माँ भी घबराई थी
पहली नहीं ,दूजी नहीं, अरे छटवीं लड़की आई थी
क्या था कसूर मेरा ,आप ही बताइए क्या करती मैं
उन नन्हें हाथों से ,कैसे गला घोंट...
तंज कस रही थी दादी , दादा ना गोद उठाया था
रो रही थी आँखे पिता की, माँ भी घबराई थी
पहली नहीं ,दूजी नहीं, अरे छटवीं लड़की आई थी
क्या था कसूर मेरा ,आप ही बताइए क्या करती मैं
उन नन्हें हाथों से ,कैसे गला घोंट...