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"कारावास"
मीना एक बहुत ही खुश मिजाज़ और सुंदर लड़की थी।वो अपनी ही शर्तों पर जीना चाहती थी।उसे किसी के अधीन रहना बिलकुल भी पसंद न था। इसलिए पढ़ाई के बाद उसने एक बुटीक खोल ली। उसने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया था इसलिए उसे कोई दिक्कत पेश नहीं आई।तरह तरह के नये डिजाइन के ड्रेसेज वो अपनी बुटीक में रखती थी और खूबसूरत साज़ सज्जा से युक्त उसका बुटीक था। लिहाजा बुटीक को चलना ही था और वो चल पड़ी।
एक दिन मीना के बुटीक पर एक खूबसूरत युवती आई उसे नये नये परिधानों पर लिखना और जानकारी देना बहुत पसंद था। उसने मीना के कई कपड़ों को देखा और मीना से उसका साक्षात्कार भी किया।
दूसरे दिन मीना का साक्षात्कार और बुटीक की तस्वीरें भी अखबार में छपी थी। मीना बहुत प्रसन्न हुईं और उसने उस लड़की जिसका नाम साक्षी था का फोन पर आभार व्यक्त किया।
धीरे-धीरे मीना और साक्षी अच्छी दोस्त बन गई।
एक‌ दिन साक्षी ने अपने जन्मदिन पर मीना को आमंत्रित किया। मीना ने हांमी भर दी और शाम को तैयार होकर वो साक्षी के घर पर पहुंच गई। दरवाजा एक खूबसूरत युवक ने खोला जिसको देखकर मीना सकपका गई।फिर साक्षी ने ही दोनों का परिचय करवाया दरअसल वो साक्षी का भाई था। मीना पार्टी में मशगूल हो गई मगर पूरे समय साक्षी का भाई सौम्या मीना को देखता रहा, मीना भी मन ही मन सौम्या को पसंद करने लगी। रात को मीना ने साक्षी से विदा ली।
दूसरे दिन वो अपने बुटीक में गई तो बस सौम्या के बारे में ही सोचतीं रही।रह रह कर उसे सौम्या की आंखें बहुत याद आ रही थी। देखते ही देखते शाम हो गई तो उसकी मोबाइल पर रिंग हुआ स्क्रीन पर नज़र डाली तो कोई अननोन नंबर था तो मीना ने कौल रिसीव किया दूसरी ओर से एक मर्दाना आवाज़ गूंजी कल रात से सो नहीं सका हूं हार कर आज आपको फ़ोन किया है। मीना रक्ताभ हो गई कि ये सौम्या ही है। क्या आज आप मेरे साथ कौफी पीने चलेगी? सौम्या ने धीरे से पूछा तो मीना ने हां कह दिया।
शाम को दोनों एक रेस्टोरेंट में मिले दोनों ही एक दूसरे को पसंद कर चुके थे,बस घरवालों से बात करनी थी जब मीना ने अपने घर में बताया तो किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई उधर जब सौम्या ने अपने घर में पूछा तो मां को उसकी थोड़ी परेशानी हुई उसने कहा कि अगर वो उसके उसूलों के अनुसार चल सके तो उसे कोई दिक्कत नहीं है। सौम्या ने ये बात मीना को कहीं तो मीना थोड़ी हिचकी क्योंकि वो भी तो किसी के अधीन नहीं रह सकतीं थीं। लेकिन सौम्या की चाहत के आगे उसने बाकी सब बातें दरकिनार कर दिए।और कुछ ही दिनों बाद दोनों का धूमधाम से विवाह हो गया। शादी की पहली रात सौम्या ने मीना को एक खूबसूरत अंगूठी उपहार में दिया जिसे पाकर मीना बहुत प्रसन्न हुई। मीना ने भी सौम्या को एक घड़ी भेंट की और बोली आज से हम दोनों इस घड़ी की सुईयों की भांति एक साथ चलेंगे और इतना सुनते ही सौम्या ने मीना के होंठों पर अपने होंठ रख दिए, मीना ने भी सौम्या को अपनी आगोश में कस लिया।
दूसरे दिन सुबह उसकी मुंह दिखाई हुई सभी मीना के रूप की प्रशंसा कर रही थी। फिर मीना की पहली रसोई हुई जिसमें उसने खीर बनाई जो सभी को बहुत पसंद आई। वक्त धीरे-धीरे गुज़रता रहा फिर एक दिन मीना की सांस ने मीना से कहा देखो बहूं अब बहुत हो चुका ये बाहर आना जाना अब घर संभालों और अपनी गृहस्थी और मुझे छुट्टी दो अब अपना ये बुटीक का काम बंद कर दो। मीना को ये बात कुछ अटपटी सी लगी रात को जब सौम्या कमरे में आये तो मीना ने उसे सबकुछ बताया सुनकर सौम्या ने कहा कि तो सही है न अब तुम घर में आराम करो और मैं काम करूंगा छोड़ दो बुटीक का काम आखिर सौम्या के कहने पर उसने बुटीक का काम छोड़ दिया। देखते ही देखते एक वर्ष बीत गया मीना अब घर में ही रहतीं लेकिन मांजी का तानाशाह उसे बिलकुल भी नहीं अच्छा लगता था इतने बजे उठों इतने बजे खालों ये पहनो वो न पहनो हर चीज में टोका टाकी। कहा तो मीना अपनी शर्तों पर ज़ीने की आदि थी और कहा ये जीवन जो अब उसका जीवन नहीं रह गया था।एक दिन की बात है मीना दिन भर की काम करके लेटी थी कि मांजी उसके कमरे में आई और बोली उठों जल्दी से आटा सान लो शाम को मामाजी और उनके दो बेटे आ रहे है। मीना ने कहा ठीक है खाना तो रात को खाएंगे सब वो बाद में आटा सान लेगी,उसका इतना कहना था कि मांजी ने बक-बक करना आरंभ कर दिया। मीना को भी बहुत क्रोध आ गया मगर वो शांत रही।
ऐसे ही अब आएं दिन होने लगा मीना अब आजि़ज आ चुकी थी इन सबसे।एक दिन मीना को बुखार था तो वो अपने कमरे में लेटीं थी कि मांजी आ गई और बोली रात को सिर्फ रोटी बना लेना मैं सब्जी बना दूंगी। मीना बोली मांजी आज बाहर से खाना मंगवा लीजिए मैं रोटी नहीं बना पाऊंगी तो मांजी फिर भड़क उठी "तुम्हें तो बस लेटने का बहाना चाहिए।" मीना को मांजी की ये बात बहुत बुरी लगी और वो दूसरे तरफ करवट लेकर सोई रही मगर उसका मन अशांत था। सौम्या भी अपनी मां के आगे कुछ नहीं बोल पाते।हार कर आखिर एक दिन मीना ने एक भयानक निर्णय ले लिया। रात को रोज मांजी को दूध देकर ही वो अपने कमरे में सोने जातीं ‌थी।उस दिन भी उसने मांजी को दूध दिया और अपने कमरे में आकर लेट गई।
दूसरे दिन घर में कोहराम मच गया मांजी को किसी ने जहर दे दिया था क्योंकि उनके मुंह से झाग निकल रहा था और रात ही को उनकी मृत्यु हो चुकी थी। कुछ ही देर में पुलिस आ गई और फिंगरप्रिंट और फोटो वगैराह लेकर चली गई।और जांच पड़ताल में हर सुबूत मीना पर आकर रूक गई। मीना रोती रही मगर कोई कर भी क्या सकता था और मीना को हथकड़ी डाल कर जेल में डाल दिया गया। दिन महीने साल पर साल गुज़रते रहे मगर मीना को जेल में मिलने केवल उसकी मां आती थी पिताजी पहले ही चल बसे थे और सौम्या का तो कोई प्रश्न ही नहीं था आने का।
ज़िन्दगी भर जिस अधीनता का वो तिरस्कार करती रही आज किस्मत उसे जिन्दगी भर‌के लिए एक चारदीवारी और काल कोठरी में बांध कर चली गई।
(समाप्त) लेखन समय 3:45
दिनांक 29.4.24- सोमवार



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