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इक़रार
अभि उसके कॉलेज में उसकी ही कक्षा में पढ़ता था, मग़र उसने कभी उसे एक नज़र भी न देखा था, उसे ही क्या वो तो कभी किसी लड़के की ओर नज़र उठा कर नहीं देखती थी!

वो स्नेहा थी, जैसा नाम था वैसा ही स्वभाव भी था! शांत, शर्मीली, सीधी, कम ही बात करती थी! उसके लिए यहाँ सभी कुछ नया था, नया शहर, नया कॉलेज, नये लोग, दुनिया ही अलग, दिल्ली से आगरा आकर पढ़ना, बिल्कुल ही पूरब पश्चिम जैसी बात थी दोनों शहरों के बीच में!
उन दिनों आगरा शहर इतना विकसित नहीं हुआ था, गाँव ही लगता था!

पहली बार जब स्नेहा आई तो उसका दिल घबराने लगा था कि वो यहाँ कैसे रहेगी, वो भी होस्टल में, रैगिंग के नाम से और घबरा रही थी! मग़र रहना तो था ही, होशियार थी, कॉम्पटीशन पास करके आई थी!

जैसे जैसे समय बीतने लगा, मग़र उसका कभी मन नहीं लगा, कॉलेज में उसकी बोलचाल सभी से थी मग़र दोस्ती सिर्फ़ रूही से ही थी! BCA का अंतिम सेमेस्टर था, कुछ बातें अब वो लड़कों से करने लगी थी, अच्छा स्वभाव होने की वजह से लड़के भी उसी से मदद लेना पसंद करते! कभी नोटस कभी कोई किताब!

अभि से गाहे बगाहे न के बराबर ही बात होती, वो ख़ुद भी शर्मीला था, लड़कियों से कम बात करता और दूर ही रहता!
जाने कब स्नेहा उसके दिल में घर कर गयी, पता ही नहीं चला, वो अक्सर कनखियों से देखता, मग़र चुप रहता, कुछ हलचल स्नेहा महसूस कर रही थी, कि अभि का व्यवहार उसकी तरफ़ बदल रहा है, अब वो स्नेहा से कभी कभार बात कर लेता था, धीरे धीरे दोनों की दोस्ती अच्छी हो गयी मग़र बातें कम ही होती! एक दिन स्नेहा को assigment जमा करवानी थी, वो कॉलेज आई, उसने देखा कि अभि भी आया हुआ था, उसने हैलो किया और आगे बढ़ गयी!
काम खत्म कर होस्टल वापस जा रही थी तभी पीछे से किसी ने उसे आवाज़ लगाई, मुड़ कर देखा तो अभि था, बोला कैंटीन चलोगी?

कुछ अजीब सा लगा स्नेहा को, फ़िर भी उसने हाँ कहा और दोनों कैंटीन की तरफ़ बढ़ गए!

कुछ देर यहाँ वहाँ की बातें करता रहा, वो भी बताती रही!
अचानक से अभि ने कहा, "स्नेहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ!"
स्नेहा चौंक गयी, उसे यकीन नहीं हुआ, उसने जो भी सुना, मग़र वही सच था.
स्नेहा ने कहा कि "अभि तुम सिर्फ मेरे अच्छे दोस्त हो, मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा तुम्हारे लिए!"

स्नेहा समझाती रही कि अगर वह स्वीकार भी कर ले, तो भी इस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है!

स्नेहा का परिवार मध्यम वर्गीय मग़र उच्च शिक्षित परिवार था, पिता राजपत्रित अधिकारी थे, दोनों भाई विदेश में रहते थे, लेकिन बहन की अंतर्जातीय शादी कभी न करते, उसे पता था, इसलिए स्नेहा ने अभि से मना कर दिया, वो समझता समझाता रहा लेकिन स्नेहा नहीं मानी और होस्टल जाने के लिए चल दी!

रास्ते भर सोचती रही कि उसने अपने दोस्त का दिल तोड़ दिया, उसे उदास कर दिया, वो भी क्या करती!

कुछ दिन बीते, एक दिन अभि ने कहा कि वो बहुत मेहनत करेगा अच्छी नौकरी पायेगा, तो तुम्हारे घरवाले मना नहीं कर सकेंगे, स्नेहा को पूरा भरोसा था, उसे अभि के भरोसे पर बहुत भरोसा था, अंततः वह मान गयी!
© सुधा सिंह 💐💐