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तेरी-मेरी यारियाँ ! ( भाग-11 )
पार्थ :- कोई बात नही बस आप एक बार कार तो रोकिए ।

देवांश कार रोक देता है और पार्थ भाग कर निवान के पास चला जाता है और निवान से पूछता है ।

पार्थ :- निवान आज तेरी भी स्कूल बस नही आई क्या जो तू पैदल जा रहा है ।

निवान :- मुस्कुरा कर,,,,,, मै पैदल ही स्कूल जाता हूँ पार्थ वहाँ सामने ही मेरा स्कूल है ।

पार्थ वाणी की तरफ देखते हुए पार्थ से फिर पूछता है ।

पार्थ :- निवान यह कौन है ?

निवान :- मेरी छोटी बहन वाणी " चल अब हमको जाना होगा हमको स्कूल के लिए देर हो रही है ।

तभी देवांश पार्थ को आवाज लगाता है और बोलता है ।

देवांश :- पार्थ क्या कर रहा है जल्दी आ मुझे भी देर हो रही है।

निवान :- पार्थ यह कौन है ?

पार्थ :- मेरे बड़े भईया देवांश । बाय निवान कल स्कूल की छुट्टी  है तालाब के पास जो पार्क है वहाँ मिलते है ।

वह इतना बोल कर कार मे जाकर बैठ जाता है । निवान और वाणी भी अपने स्कूल के लिए निकल जाते है ।

पार्थ जैसे ही कार में बैठता है । देवांश उससे बोलता है ।

देवांश :- यह कौन था ? और अब तुझे स्कूल के लिए देर नही हुई ।

पार्थ :- वो मेरा दोस्त निवान है और स्कूल के लिए मुझे आपकी वजह से पहले ही देर हो चुकी है ।

देवांश :- पीछे मुड़कर,,,,,,, क्या बोला तूने दुबारा बोल ।

पार्थ :- आप खुद सोचो आपकी वजह से देर तो मुझे पहले ही हो चुकी है अब समय पर पहुँचे या नही क्या फर्क पड़ता है ।

देवांश :- पार्थ  को घूरते हुए,,,,,,तू घर पर मिल वह इतना बोलते ही कार स्टार्ट करता है और वह दोनो भी वहाँ से चले जाते है ।

फिर वह पार्थ को स्कूल छोड़कर अपने कॉलेज के लिए निकल जाता है ।

वही दूसरी ओर गीतिका और मानवी भी खेतों मे पहुँच जाती हैं  । तभी गीतिका की नजर अपने बड़े पापा पर जाती है और वह एक हाथ में टिफिन लिए भागते हुए उनके पास जाती है और जोर से चिल्लाती है ।

गीतिका :- हँसते हुए,,,,,,बड़े पापा ।

भूपेंद्र मानवी के पापा और गीतिका के बड़े पापा जो स्वभाव के तो अच्छे है पर यह बड़ी ही आसानी से किसी की भी बातों मे आ सकते है ।

भूपेंद्र :- मानवी, गीतिका तुम दोनो यहाँ क्या कर रही हो ।

मानवी :- वो पापा मुझे कुछ जरूरी सामान लेने बाजार जाना है । बस उसी के लिए आपसे इजाजत लेने आई हूँ ।

भूपेंद्र :- गीतिका तू तुझे कहाँ जाना है ?

गीतिका :- बड़े पापा मै तो बस आपको खाना देने आई थी फिर सोचा क्यों ना मानवी दीदी के साथ मै भी बाजार चली जाऊँ ।

मानवी :- गीतिका को देखते हुए,,,,,, और तूने ये कब सोच लिया ?

गीतिका :- मुस्कुराते हुए,,,,,,, जब आपने बाजार जाने के लिए कहाँ ।

भूपेंद्र :- अच्छा-अच्छा ठीक है चली जाओ पर समय से घर पहुँच जाना ।

मानवी :- जी पापा,,,,,वह इतना बोलने के बाद गीतिका को लेकर वहाँ से चली जाती है ।

काफी समय बीत जाने के बाद मानवी और गीतिका भी बाजार पहुँच जाती हैं और गीतिका मानवी से पूछती हैं।

गीतिका :- मानवी दीदी आप यहाँ बाजार मे क्या लेने आई है ?

मानवी :- गिफ्ट लेने अब चुपचाप चल इसके आगे कुछ पूछने की जरूरत नही है।

गीतिका :- पर दीदी किसके लि,,,,,,,

गीतिका इससे आगे कुछ बोलती की तभी पीछे से एक कार आकर मानवी के हाथ से टकरा जाती है।

जिसकी वजह से मानवी के हाथ पर चोट लग जाती है। तभी कार मे बैठा लड़का,,,,,,,,,

To Be Continue Part - 12
© Himanshu Singh