लिंग भेद रंग भेद समाज का कलंक
ये कहानी है पहचान की जो मां के कोख में सिर्फ एक प्यारा बच्चा है
बेटा हुआ तो बढ़िया बेटी हुई तो बहुत अच्छा है
कहानी है सास और बहू की -
हंसिका अक्सर अपने सास से डरी सहमी रहती है
हंसिका की सास है तो कड़क मिजाज की लेकिन इंसानियत और नियत जिंदा और साफ है
हंसिका गर्भ से है और ससुराल में सास के साथ खुश है
एक दिन किन्नर की टोली जब आशिर्वाद देने के लिए
हंसिका के घर आती है
तो दरवाजा खोलने उसकी सास आती है
उसके बाहर निकलते ही
दुआ देते हैं कि आपकी बहू का बेटा होगा
हमारा आशीर्वाद है
हंसिका की सास कहती है कि बेटा हो या बेटी मुझे दोनों प्यारे है
तुम बहु को जच्चा बच्चा दोनों की सलामती के लिए दुआ करो
बेटी हो या बेटा मेरे लिए दोनों अनमोल हैं
हंसिका अपने सास के इस व्यहार से बहुत खुश होती है
और उनको देखकर उन्हें सीने से लगा लेती है
बहु बेटी है तो सास भी मां है उनकी बातें गर माँ की तरह सुने तो वो आपको बेटी की तरह ही शिक्षा देंगी
छोटी छोटी नोंक झोंक हर घर मे होती है
कभी बहु रोती है
कभी सास रोती है
मिलकर साथ रहना सिख लो हर परिस्थिति में
यकीन मानो वही रिश्ता खास होती है
माँ मायके में नहीं कभी कभी ससुराल में भी पास होती है
बेटी ससुराल में नहीं मायके में है
ऐसी एक एहसास होती है
यही तो विश्वास होती है
बेटी बेटा माँ के लिए एक वरदान है
जो सच्चा है
बेटी का जन्म भी अनमोल है बेटे का जन्म भी अच्छा है
माँ के लिए कोख में पलता एक अविकसित शरीर सिर्फ एक अपना ही बच्चा है
न रंग न लिंग भेद है
माँ के लिए तो बेटी संजीविनी
बेटा आयुर्वेद है
समाज के आडम्बर को तोड़ दो
बेटी की जन्म में पटाखे ज्यादा फोड़ दो
बेटी भी तो माँ का अभिमान है
© kuldeep rathore
बेटा हुआ तो बढ़िया बेटी हुई तो बहुत अच्छा है
कहानी है सास और बहू की -
हंसिका अक्सर अपने सास से डरी सहमी रहती है
हंसिका की सास है तो कड़क मिजाज की लेकिन इंसानियत और नियत जिंदा और साफ है
हंसिका गर्भ से है और ससुराल में सास के साथ खुश है
एक दिन किन्नर की टोली जब आशिर्वाद देने के लिए
हंसिका के घर आती है
तो दरवाजा खोलने उसकी सास आती है
उसके बाहर निकलते ही
दुआ देते हैं कि आपकी बहू का बेटा होगा
हमारा आशीर्वाद है
हंसिका की सास कहती है कि बेटा हो या बेटी मुझे दोनों प्यारे है
तुम बहु को जच्चा बच्चा दोनों की सलामती के लिए दुआ करो
बेटी हो या बेटा मेरे लिए दोनों अनमोल हैं
हंसिका अपने सास के इस व्यहार से बहुत खुश होती है
और उनको देखकर उन्हें सीने से लगा लेती है
बहु बेटी है तो सास भी मां है उनकी बातें गर माँ की तरह सुने तो वो आपको बेटी की तरह ही शिक्षा देंगी
छोटी छोटी नोंक झोंक हर घर मे होती है
कभी बहु रोती है
कभी सास रोती है
मिलकर साथ रहना सिख लो हर परिस्थिति में
यकीन मानो वही रिश्ता खास होती है
माँ मायके में नहीं कभी कभी ससुराल में भी पास होती है
बेटी ससुराल में नहीं मायके में है
ऐसी एक एहसास होती है
यही तो विश्वास होती है
बेटी बेटा माँ के लिए एक वरदान है
जो सच्चा है
बेटी का जन्म भी अनमोल है बेटे का जन्म भी अच्छा है
माँ के लिए कोख में पलता एक अविकसित शरीर सिर्फ एक अपना ही बच्चा है
न रंग न लिंग भेद है
माँ के लिए तो बेटी संजीविनी
बेटा आयुर्वेद है
समाज के आडम्बर को तोड़ दो
बेटी की जन्म में पटाखे ज्यादा फोड़ दो
बेटी भी तो माँ का अभिमान है
© kuldeep rathore
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