...

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*‼️ भारतीय नववर्ष‼️*


*सबके मन को भाया है।*
*नववर्ष हमारा आया है।।*

_यह चैत्र - शुक्ल की प्रतिपदा,_
_सर्दी की ठिठुरन हुई जुदा।_
_अब धरती का श्रृंगार हुआ,_
_नव रुप रंग साकार हुआ।।_
_संग हरियाली भी लाया है,_
_नववर्ष हमारा आया है।।_

*सबके मन को भाया है।*
*नववर्ष हमारा आया है।।*

_अब चांद सुधा बरसायेगा,_
_मन मानव का हरषायेगा।_
_धरती से लेकर व्योम तलक,_
_रंग भगवा ही लहरायेगा।।_
_हिन्दू ने बिगुल बजाया है,_
_नववर्ष हमारा आया है।।_

*सबके मन को भाया है।*
*नववर्ष हमारा आया है।।*


_परिधान नया अब सृष्टि को,_
_इस कुदरत ने पहनाया है।_
_नई नवेली दुल्हन सम,_
_धरती का रुप सजाया है।।_
_घर - घर खुशहाली लाया है,_
_नववर्ष हमारा आया है।।_

*सबके मन को भाया है।*
*नववर्ष हमारा आया है।।*

_सुरभित मन्द समीर बही,_
_नव - गान कोकिला गाया है।_
_आर्यावर्त की पुण्य-भूमि का,_
_जय जय - गान सुनाया है।।_
_सप्तम स्वर में गूंज रहा,_
_नववर्ष हमारा आया है।।_

*सबके मन को भाया है।*
*नववर्ष हमारा आया है।।*

_चैत्र - शुक्ल की प्रतिपदा,_
_यह सृष्टि का आरम्भ है।_
_मां शक्ति का पूजन दिन,_
_नवरात्र का प्रारम्भ है।।_
_चप्पा - चप्पा बोल रहा,_
_नववर्ष हमारा आया है।।_

*सबके मन को भाया है।*
*नववर्ष हमारा आया है।।*

_नाचो गाओ खुशी मनाओ,_
_मन में गर्व समाया है।_
_नगर नगर में भगवा रैली,_
_रंग बासंती छाया है।।_
_"चेजारा" कवि बोल रहा,_
_नववर्ष हमारा आया है।।_

*सबके मन को भाया है।*
*नववर्ष हमारा आया है।।*

© लब्ज के दो शब्द