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बलजोरी की रूह के वरदान और श्राप क्या है।।
बलजोरी को वसना के द्वारा छले जाने पर बलजोरी
को दर्द हुआ मगर पीड़ा नहीं ऐसा क्यों हुआ होगा क्योंकि बलजोरी एक प्रेममई केन्द्र है जिसमें यह कहा गया है कि एक आदम स्त्री भोग का भिखारी हैं और हर भोग लग सकता है अगर विचार स्वस्छ है मगर एक स्त्री भोग करना साभी चहाते मगर स्त्री भोग एक बेहद सुखद क्रियाकर्म है क्योंकि स्त्री एक देवी और हर वैशया देवी है इसलिए स्त्री भोग करना आसान नहीं होता है।। मगर स्त्री भोग की दो दिवसीय भुजाए है एक गाय दूसरी सुवरी और सनातन धर्म एक गायभोग को बड़ा महत्व है और योगदान है मगर वही सुवारी भोग के असम्भव प्रेम गाथा अनन्त अभिषा पित भोग मना गया है।।
और बलाजोरी काभी किसी को कोई श्राप नहीं देती है मगर एक गाय का आत्मसम्मान एक ही श्राप दे सकता है ना की एक सुवरी।।

और बलात्कारी की रणनीति बलजोरी तक पहुंचने में असफल इसलिए रही क्योंकि हमारा एक अच्छा कर्म हमारे सौ पुरे कर्मो डक नहीं सकता और क्योंकि वैशयालूधाम बदनाम होकर भी आज वैशयलय नहीं है और सबसे बड़ी माता की मूर्ति वैशयलय में ही है।। क्योंकि बिना वैशयलय की माटी माता की मूर्ति कदा भी पूर्ण नहीं हो सकती है।। इसलिए वैशलय बना वैशयालूधाम जहां के मुख्य द्वार पर लिखा था कि कर्म ही पूजा और गृहक की भगवान का रूप है।।