अपनी संस्कृति अपने संस्कार
लोग सनातन धर्म की
अपनी सदियों पुरानी
संस्कृति को भूलते
जा रहे हैं
रामायण,गीता, महाभारत
जैसे पवित्र ग्रन्थो को
पढ़ने के लिए और
उनकी शिक्षा पर मनन
चिन्तन करने के लिए
उनके पास समय ही
नहीं है
अपनी संस्कृति का जो
वास्तविक पहनावा है
उसे छोड़कर हमारे
देश की बहन -बेटियां
विदेशों द्वारा प्रदान किए
गये सुझावों द्वारा निर्मित
वस्त्र धारण कर रही हैं
जो एक बहुत ही चिन्ता
जनक बात है
आज के समय में मां बाप भी
अपने बच्चों को अच्छे
संस्कार प्रदान नहीं
कर रहे हैं
जिससे घर-परिवार
और समाज में उपद्रव
अत्याचार व कुकर्म
जन्म ले रहे हैं
इसलिए मनुष्य भी दिन प्रतिदिन
स्वार्थी, लोभी लालची और
घमण्डी होता जा रहा है
मानव के उर में दया,क्षमा
मानवता नाम की कोई
चीज शेष नहीं बची है
हर तरफ लूटपाट
दंगे फसाद और मार काट
का माहौल बना हुआ है
अगर आप खुद में परिवर्तन
लायेंगे तो ये देश एक बार
फिर से अपनी संस्कृति में
लौट आयेगा जो विलुप्त
होती जा रही है
मैं आशा करता हूं कि
आप ये कहानी पढ़ कर
इसका अनुसरण करेंगे
और अपना, अपने देश के
प्रति उत्तरदायित्व निर्वाह
करेंगे
© Shaayar Satya
अपनी सदियों पुरानी
संस्कृति को भूलते
जा रहे हैं
रामायण,गीता, महाभारत
जैसे पवित्र ग्रन्थो को
पढ़ने के लिए और
उनकी शिक्षा पर मनन
चिन्तन करने के लिए
उनके पास समय ही
नहीं है
अपनी संस्कृति का जो
वास्तविक पहनावा है
उसे छोड़कर हमारे
देश की बहन -बेटियां
विदेशों द्वारा प्रदान किए
गये सुझावों द्वारा निर्मित
वस्त्र धारण कर रही हैं
जो एक बहुत ही चिन्ता
जनक बात है
आज के समय में मां बाप भी
अपने बच्चों को अच्छे
संस्कार प्रदान नहीं
कर रहे हैं
जिससे घर-परिवार
और समाज में उपद्रव
अत्याचार व कुकर्म
जन्म ले रहे हैं
इसलिए मनुष्य भी दिन प्रतिदिन
स्वार्थी, लोभी लालची और
घमण्डी होता जा रहा है
मानव के उर में दया,क्षमा
मानवता नाम की कोई
चीज शेष नहीं बची है
हर तरफ लूटपाट
दंगे फसाद और मार काट
का माहौल बना हुआ है
अगर आप खुद में परिवर्तन
लायेंगे तो ये देश एक बार
फिर से अपनी संस्कृति में
लौट आयेगा जो विलुप्त
होती जा रही है
मैं आशा करता हूं कि
आप ये कहानी पढ़ कर
इसका अनुसरण करेंगे
और अपना, अपने देश के
प्रति उत्तरदायित्व निर्वाह
करेंगे
© Shaayar Satya
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