...

5 views

एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त बुलन्द फटकार।।
यह गाथा एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त अनन्त है मगर यह गाथा किसी एक योनि की नहीं है और ना ही ये किसी भाषावादी या भाषाहीन कि है यह गाथा एक असंभव प्रेम गाथा इसलिए है क्योंकि इसका लक्ष्य सिर्फ एक मात्र प्रेम के प्रेम की योनि की तालास करना ना की काई अन्य श्रुतो का कार्य समाप्त करना यह किसी एक योनि तथा उसके छीतिर भितिर करने वाले लन्ड की नहीं बल्कि यह गाथा में स्त्री परिचय पाने खातिर जो खुद का आस्तित्व समर्पण संग्रह उत्पन करती हैं उनका है,
और जैसा कि आप सब जानते हैं कि इस गाथा में अहम भूमिका श्रीकृष्णनम् तथा उनकी रूह द्वारा निर्मित है किंतु यह कहना मुश्किल है कि क्या श्रीकृष्ण की रूह का किताब पाने कि वो वैशया वाकई हकदार हैं? और यह किसी एक वैशया का उल्लेख नहीं है बल्कि समसत्रम् योनीयम् कर्मा बीचम् परछयामी भवन्तु किंतु यद्यपि कादामि गलतम् योनिम् त्याग बलिदान भवतामि समसत्रम् योनीयम् कर्मा तथा स्वयं समर्पण केवलम् अरथानि अलफानि भवतानि। एका दूजा गुलामाह भवताह सा केवलम् अरथानि अलफानि प्रारापति भावित।
श्रीकृष्ण समसत्रम् ज्ञानम् अरजितानि भवन्तु सुखिन सर्वे भवन्तु। जीवना श्रापम् अर्था कुल नाशा।
#सजागृह
© All Rights Reserved