...

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चुप्पी
कभी कभी शब्द नहीं बचते
सुनने वाले दूर होते जाते परिवार आसपास के सब ये कहानी भावुक कहानी है

मयूर नाम तो केतन था
पर अंदर से लड़की था इस कहानी मे सिर्फ एक किरदार है उसी के आसपास ये कहानी चलती है

आज सालों हो गए
किसी से तसल्ली से बात करे
घर वाले या तो चालों मे या खुद मे बिजी

शायद अब अंदर बस मौन बचा है

ये सोचकर मयूर टहलने लगा
अक्सर आसमान को देखकर उसे एक सुकून मिलता

मयूर ने भले कई वीडियो देखी थी की स्थाई कुछ नहीं
पर इसका मतलब ये तो नहीं
सब उससे दूर होते जाए

मयूर सोचने लगा
क्या मैं इतना बुरा हूं जो सब दूर जाते

पर उसके पास सिवाय अकेलेपन के कुछ नहीं बचा था

मयूर ने सोचा जब सिर्फ अकेला शेष है तो वो गेम खेलने लगा
पर उसमे भी मन नहीं लगता था

क्या रात क्या दिन उसे एक जैसे लगते
मयूर कैसे भी अपना ध्यान डाइवर्ट करने की कोशिश करता

ये आसान नहीं था
पर मयूर मे सोचा कोशिश तो मैं कर ही सकता हूँ


खुद को सुनना समझना अच्छी बात है
पर उसमे भी एक खालीपन बना रहता पूरी तरह नहीं जाता जब बात लंबे समय से फील की हो ।


समाप्त
27/6/2024
12:43 प्रातः
© ©मैं और मेरे अहसास