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तेरी-मेरी यारियाँ ! ( भाग - 4 )




सावित्री कोई और नही बल्कि मानवी की माँ है । पूरे घर में बस एक वही है जो गीतिका और मानवी का साथ देती है । लेकिन घर वालों से छिप कर जोकि इस समय छत पर कपड़े सुखा रही है ।

मानवी :- चाची आप माँ को क्यों बुला रही है ?

मानवी को अपनी माँ से ज्यादा इस बात का डर था की कुसुम के चिल्लाने से कही घर के बाकी सदस्य भी बाहर ना आ जाए।

तभी ऊपर से सावित्री गीले कपड़ो को फटकारते हुए बोलती है ।

सावित्री :- ( मानवी की माँ ) कुसुम क्या हुआ ? तुम इतना क्यों चिल्ला रही हो ।

कुसुम :- मानवी की तरफ इशारा करते हुए,,,, मुझे तो ये कुछ भी नही बता रही की गीतिका कहाँ है ? एक बार आप ही पूछ लीजिए क्या पता फिर इसके मुँह से आवाज आ जाए ।

सावित्री को कुछ समझ नही आता वो सीढ़ियों से से नीचे उतरकर कुसुम के पास जाती है और कुसुम से पूछती है ।

सावित्री :- मैं कुछ समझी नही तुम कहना क्या चाहती हो ।

कुसुम :- यही की अपनी लाडली से पूछो की इसने गीतिका को इस समय समय कहाँ भेजा है ।

सावित्री :- मानवी को घूरते हुए पूछती,,,,, जब उसको तूने ही भेजा है तो बताती क्यों नही कहाँ भेजा है । ऐसे चुपचाप क्या खड़ी है ।

मानवी :- माँ वो मैंने गीतिका को,,,,,,,,,

वो इससे ज्यादा कुछ बोल पाती तभी उन तीनो को पीछे से गीतिका की आवाज सुनाई देती है ।

गीतिका :- बड़ी माँ मै यहाँ हूँ ।

गीतिका को देखते ही कुसुम मानवी को छोड़कर उसके पास चली जाती है और उससे बोलती है ।

कुसुम :- महारानी जी आ गई आप फिर आप ही बता दीजिए की आप कहाँ गई थी । आपकी प्यारी मानवी दीदी ने आपको कहाँ भेजा था ।

मानवी का नाम सुनते ही गीतिका समझ जाती है की उसको बचाने के लिए मानवी ने झूठ बोला है ।

गीतिका :- माँ वो मैंने ही,,,,,,,,,, उसके आगे कुछ बोलने से पहले ही मानवी बोल पड़ती है ।

मानवी :- चाची मैंने कहा तो है मैंने ही इसको भेजा था आप फिर क्यों पूछ रही है ।

गीतिका :- डरी हुई आवाज मे,,,,,,,, नही माँ मानवी दीदी ने मुझे कही नही भेजा था बल्कि मैं तो अपने नए दोस्तों के साथ खेल रही थी ।

मानवी गीतिका को इशारों मे पार्थ और निवान के बारे मे बताने के लिए मना करती है पर गीतिका उसके इशारों को समझ नही पाती ।

कुसुम :- वह शक भरी निगाहों से गीतिका को देखते हुए पूछती हैं कौन-से नए दोस्त ?

गीतिका अपने घर की पाबंदियों से अंजान कुसुम को खुश होकर पार्थ और निवान के बारे मे बताने लगती है ।

गीतिका :- खुशी से,,,, माँ वो मैं निवान,,,,,,।

गीतिका के कुछ बोलने से पहले ही सावित्री ने उसको रोक दिया क्योंकि पीछे से मानवी ने उनको पार्थ और निवान के बारे मे बता दिया था ।

सावित्री :- अच्छा-अच्छा मैं समझ गई तुम उस निकिता की बात कर रही हो जो अपनी माँ के साथ खेतों मे आती है ।

तभी गीतिका हैरान होकर अपनी बड़ी माँ की तरफ देखते हुए बोलती है ।

गीतिका :- नही बड़ी माँ उसका नाम तो,,,,,,,

गीतिका आगे कुछ बोलती उसकी नज़र मानवी पर जाती है । जो उसको चुप रहने के लिए इशारा करती है वही मानवी की माँ सावित्री बीच मे बोल पड़ती है ।

सावित्री :- हाँ गीतिका हमको पता है उसको सब प्यार से निक्की बुलाते है पर नाम तो उसका निकिता ही है ना ।

गीतिका को कुछ समझ नही आता की,,,,,,

To Be Continue Part - 5