...

9 views

शिक्षा है जीवन का सार
आज office में नेता जी के PA चपरासी सेवालाल को चमका रहे थे

सेवा लाल भी क्या करता मैट्रिक पास करके जो चपरासी बना था

अर्थात उसको एहसास था कि चमचागिरी से लोग नेता नहीं तो PA तो बन ही जाते हैं

सेवा लाल शरीफ तो नही था लेकिन ईमान जिंदा था

सेवा लाल ने office के टेबल पर फ़ाइल लाकर नेता जी को पढ़कर भी सुना रहा है

PA मुँह में पान दबाकर कुर्सी में आराम फरमा रहा है

नेता जी ने फ़ाइल को देखा लेकिन सिर्फ कवर को

अंदर की बात सेवा लाल पढ़कर सुना रहा है।


office का काम खत्म कर नेता जी भी बाहर निकले

office बंद कर सेवा लाल भी अपने घर को आया

बेटे को पढ़ाई करते देख चिल्लाया
चपरासी की नौकरी भी नहीं मिलेगी

आज की पढ़ाई में

कल से तू school जाना बंद कर और किसी राजनीतिक पार्टी में चमचागिरी शुरू कर दे ।

हो सकता है भविष्य में मंत्री बन जाये।

पत्नी सेवालाल की बातों को सुन रही थी
फिर सेवा लाल से कहा कि आप बच्चे से कैसी बात कर रहे हैं

उसे पढ़ने दीजिए

अपना भविष्य बना लेगा एक दिन पढ़ लिखकर

सेवालाल पत्नी को समझाते हुए कहता है कि आज के युग मे पड़े लिखे लोगो को सिर्फ जिल्लत ही मिलती है

मुझे ही देख लो मैंने कौन सा तीर मार लिया पढ़कर

चपरासी की नौकरी भी मेरे बाप ने घूस देकर लगवाई थी

जबकि मैं अपनी शिक्षा के अनुरूप बाबू के पोस्ट भी जा सकता था लेकिन सिफारिश नहीं थी


दूसरे दिन सेवालाल फिर अपने office को निकलता है

रास्ते मे उसे पान की दुकान पे एक व्यक्ति मिलता है

जो सेवालाल को नेता जी से किसी काम के लिए सिफारिश करने को कहता है

सेवालाल है तो सीधा साधा लेकिन ऊपरी कमाई के लिए भला कौन पीछे हटे

वो भी कहता है काम तो करा दूंगा बस तू मेरा ख्याल रखना

इतना कहकर सेवालाल साईकल से अपने आफिस निकल जाता है

office खोलकर फ़ाइल को इकट्ठा करते बैठ जाता है


कुछ देर बाद नेता जी की entry होती है office में

फिर सेवालाल उस पान की दुकान में मील व्यक्ति के काम के लिए नेता जी सिफारिश करता है

नेता जी कहते हैं ठीक है हो जाएगा अपना आदमी है तू ,तो तेरे को मना भी नही करूँगा

और उस व्यक्ति का काम कराके सेवालाल अपना कमीशन उससे ले लेता है


अचानक एक दिन सेवालाल को किसी काम से गांव जाना पड़ता है

तो वो छुट्टी लेकर गांव के लिए निकलता है

सेवालाल गांव में खेती भी करता है
मकान भी ऊपरी कमाई से अच्छी बना रखी है

गांव में सेवालाल की अच्छी ठाट बाट है

सब उसे नेता जी कहकर बुलाते हैं

और बुलाये भी क्यों न
अनपढ़ नेताओं के बीच एकलौता पढ़ा लिखा चपरासी जो है।

सेवालाल को समझ आती है कि मेरी इज्जत जो गांव में है वो मेरी शिक्षा को लेकर है

मैं बेवजह अपने बेटे को पढ़ाई के लिए रोकता हूँ

कुछ नौकरी नहीं मिलेगी पढ़ लिखकर उसे तो कम से कम सम्मान तो मिलेगा

जीवन चलाने के लिए खेती भी कर सकता है

स्वाभिमान से तो जियेगा

ये सोचकर सेवालाल जब शहर वापस लौटता है

फिर सारे अपने कमीशन खोरी और काली कमाई को बंद करके

ईमानदारी से अपनी नौकरी करता है

और अपने बच्चे के पढ़ाई पे ध्यान देता है


समाज मे शिक्षा से ज्यादा कुछ नहीं कर पाओ जीवन मे तो निराश मत हो

आपकी जिज्ञासा और आपकी काम के प्रति सम्मान आपको कभी झुकने नही देगी

बुरे कार्यो से कमाया धन आपको भौतिक सुख तो दे सकता है

लेकिन मानसिक सुख कभी नहीं








© kuldeep rathore