वार्णिका - अनोखे प्रेम की दास्ताँ! ( भाग - 1 )
समय रात के लगभग 12:00 बजे,,,,,,
रात के 12:00 बज चुके थे चारों और घन्ने अंधेरे के साथ साथ सन्नाटा पसर चुका था। आधे से भी ज्यादा शहर नींद की आगोश में जा चुका था।
तो वही लगभग एक पच्चीस साल की लड़की जिसका नाम वार्णिका है वह अपने बिस्तर पर चैन की नींद सो ही रही होती है की तभी उसको महसूस होता है जैसे किसी ने उसके सिर पर प्यार से अपना हाथ फैराया हो और उसके साथ ही उसको अपने कानों में किसी की आवाज सुनाई देती है।
वार्णिका,,वार्णिका,,उठो बेटा देखो तुमसे मिलने कौन आया है।
यह आवाज सुनते ही वार्णिका अपनी आँखों को थोड़ा सा खोलकर देखती है तो उसे लगता है जैसे कोई उसके पास खड़ा हो।
वह हड़बड़ाकर अपने बिस्तर पर उठकर बैठ जाती है और नींद में ही इधर उधर देखने लगती है तो उसे वहाँ कोई भी नज़र नही आता है।
नींद में होने के कारण वार्णिका उसे अपना वहम समझकर वापस से अपने बेड पर जाकर सो जाती है पर कुछ ही देर बाद उसे एहसास होता है जैसे एक बार फिर किसी...
रात के 12:00 बज चुके थे चारों और घन्ने अंधेरे के साथ साथ सन्नाटा पसर चुका था। आधे से भी ज्यादा शहर नींद की आगोश में जा चुका था।
तो वही लगभग एक पच्चीस साल की लड़की जिसका नाम वार्णिका है वह अपने बिस्तर पर चैन की नींद सो ही रही होती है की तभी उसको महसूस होता है जैसे किसी ने उसके सिर पर प्यार से अपना हाथ फैराया हो और उसके साथ ही उसको अपने कानों में किसी की आवाज सुनाई देती है।
वार्णिका,,वार्णिका,,उठो बेटा देखो तुमसे मिलने कौन आया है।
यह आवाज सुनते ही वार्णिका अपनी आँखों को थोड़ा सा खोलकर देखती है तो उसे लगता है जैसे कोई उसके पास खड़ा हो।
वह हड़बड़ाकर अपने बिस्तर पर उठकर बैठ जाती है और नींद में ही इधर उधर देखने लगती है तो उसे वहाँ कोई भी नज़र नही आता है।
नींद में होने के कारण वार्णिका उसे अपना वहम समझकर वापस से अपने बेड पर जाकर सो जाती है पर कुछ ही देर बाद उसे एहसास होता है जैसे एक बार फिर किसी...