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डायरी का एक पन्ना..

प्यारी डायरी निर्भया, प्रियंका, आसिफा, मनीषा, पता नही यह सफर कितने सदियोसे चलता रहा है और पता नही कब तक चलता रहेगा...? अब क्या बोलू और कहाँसे बोलना शुरू करु यही समज मैं नही आरहा है..! सच कहूं तो अब डरसा लगने लगा है इस समाज से लोगोकी सोच और मानसिकता से । डर सा लगने लगा है घरसे बाहर निकलने मैं । अब जब भी कोई सहेली जॉब के लिए या बहन पढ़ाई के लिए बाहर जाती है तब उसपर फक्र कम और उसकी फिक्र ज्यादा होती है। डर सा लगता है कि काम करते वक़्त या ऑटो से सफर करते वक़्त किसीकी नजर मुझपर ना पड़े। अब डर सा लगने लगा है आपने आसपास के सारेभावनाशून्य लोगो से...! डर सा लगने लगा है उन लोगोसे जीनके लिए मैं सिर्फ मांस की पोथी हु।
पता है डायरी कि जब कोई लड़की ऐसी बाते करे तो लोग क्या सलहा देते है..? यही कि लड़कियां कमजोर नही होती वो ऐसी पारिस्थितीका सामना कर सकती है। या फिर घरसे बाहर निकलते वक्त हरदम उन्हें आपने साथ लालमिर्च पावडर, पेपर्स स्प्रे, छोटा चाकू, कोई नुकीला अवजार रखना चाहिए । या फिर माता पिता को अपनी बेटियों को मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग देनी चाहिए। पर मैं आज तक यह बात नही समझ पाई की जब एक साथ 5 से 7 लोग तुम पर हावी हो जाये तब जो अवजर, चाकू या वो पेपर्स स्प्रे पर्स से निकल कर उन लोगो पर हमला करने का हौसला आप उसके दिल मे कैसे पैदा करोगे..? और जो लडकिया छोटी होती हैं उनका क्या...? उनकी हम बात नाही करे तो ठीक...!
हजरों सवाल है दिल मैं क्या कहूँ और कैसे कहूँ..? डायरी जब भी समाज मै ऐसी घटनाएं होती है ना तब पता है क्या होता है ? सब अचानकसे जाग उठाते है...! फिर निकलते है कैंडल मार्च, फिर लगाए जाते है व्हाट्स ऐप पर स्टेटस, फिर लगाई जाती है इंस्टाग्राम पर स्टोरी, जो लोग लिख पाते है अच्छी कहिनिया या कविताऐ वो लिखते है और फिर उनके काव्यको कहानियों को मिलती है सराहना... हम ही से...! फिर कहा जाता है कि काश छत्रपती शिवाजी महाराज की निति का अवलंब किया जाता तो हम उन गुन्हेगारोके हात और पैर कलम कर देते या फिर फाँसी पर चढ़ा देते। (क्योंकि यह केहेनेके अलावा और हम कुछ कर भी तो नही सकते )पर मैं पूछती हु इससे क्या होगा...? क्या ऐसा करनेसे जो जिंदगी बर्बाद हो गई वो वापस आ जाएगी...? या जो पीड़ित हैं जिसका बलात्कार हुआ है उसकी जिंदगी आसान हो जाएगी...? या आप यह सोचते है कि आपके ऐसे करनेसे समाज का उसके तरफ देखने का नजरिया बदल जाएगा...? या फिर आपको लगता है किसी आरोपी को ऐसी सजा देने से पुरुषोंका महिलाओ को देखने का नजरिया ही बदल जायेगा...?
पता है डायरी हमारे अखबारों मैं खबरे कैसी छपति है...! फलाने राज्य मैं एक दलित छात्र पर हुआ रेप, फलाना समाज के लड़की पर हुआ बलात्कार हाथ पांव भी तोड़ दिए, या फिर इस घटना का निषेद करते हुए फलाना इस समाज के लोगो ने किया आंदोलन...! पर एक बात बोलू ...! जिस्म सभी समाज, जाती और धर्मके औरतो का एक जैसा ही होता है। पता नही हम सब ये क्यों भूल जाते है कि एक औरत होने से पहले वो एक इंसान है उसको भी दर्द होता है। इतिहास गवाह है कोनसी औरत के साथ क्या किया जाएगा किसकी जबरदस्ती शादी करदी जाएगी या किसके साथ क्या किया जाएगा या यूं कहलो की औरत के शरीर पर किसका हक होगा यह उनके अलावा हमेशा बकियोने तय किया है चाहे फिर वो उसकी मर्जी से हो या जबरदस्ती से हो । और आप इस बात को झुठला नही सकते। Tv की तो बात ही न करे तो बेहतर ..! क्योंकि ऐसी घटनाओं से टीव्ही चैनल को अगर TRP मिले तो वो आपना मुँह खोले।
मनीषा जी के केसको लेकर मेरे जेहन मैं कई सवाल है पर पहला सवाल यह है कि संविधान के नियमोके अनुसार ऐसी घटना मैं पीड़ित नाम गुप्त रखा जाता है तो मनीषा जी का नाम क्यों सबको पता है...? संविधान के नियमोका उलंघन क्यों किया जा रहा है...? आज जब किसीके साथ रेप होता है तो लोग कहते है कि देखो उस लड़की पर बलात्कार हुआ उसकी तो इज्जत चली गई पर हम पूछते है कि आपकी या आपके समाज की इज्जत आपने हमारी योनि मैं रखी क्यों ...? हमने तो नही रखी वहा किसीकी इज्जत यहाँ इज्जत अगर किसीकी जाती है तो यह दुष्कर्म करने वाले कि जाती है। यह बात सभी को समझनी होगी। और रही बात ऐसी घटनाओं की तो यह सब तभी बंद होगा जब हम आरोपियों को कठिन सजा के साथ आपने भाई और बेटो पर अच्छे संस्कार करेंगे...! जय भारत..!🙏सोनाली अहिरे...✍️