अभी तुमने कुछ भी नहीं देखा...!
जरा सुनो
हा हा तुम
तुमसे ही केहे रही हु....
क्या तुम भी किसीके लिए रोई हो...?
क्या तूम भी किसी से हारी हो...?
क्या दिल पर तुम्हारे भी बोझ है ?
या जिसने तोड़कर रख दिया उसका ही इंतजार रोज है...?
तो अभी तुमने कुछ भी नही देखा...!
तुम भी झूटी मुस्कुराहट रखती हो...?
या तुमभी सच कहने से डरती हो...?
क्या तुम भी सब भूलना चाहती हु..?
और इसी कोशिश मैं थकी हारी हो..?
जान अभी तो तुमने कुछ भी नही देखा...!
क्या तुम्हें भी किसीसे बात करते वक़्त डर लगता है..?
या तुम्ही भी सोचती हो कि कोई संभाल लेगा तुम्हे...?
या तुम्हे भी लगता है कि सपने देखना पाप है..?
या तुम भी सोचती हो कि सारे ख्वाब...
हा हा तुम
तुमसे ही केहे रही हु....
क्या तुम भी किसीके लिए रोई हो...?
क्या तूम भी किसी से हारी हो...?
क्या दिल पर तुम्हारे भी बोझ है ?
या जिसने तोड़कर रख दिया उसका ही इंतजार रोज है...?
तो अभी तुमने कुछ भी नही देखा...!
तुम भी झूटी मुस्कुराहट रखती हो...?
या तुमभी सच कहने से डरती हो...?
क्या तुम भी सब भूलना चाहती हु..?
और इसी कोशिश मैं थकी हारी हो..?
जान अभी तो तुमने कुछ भी नही देखा...!
क्या तुम्हें भी किसीसे बात करते वक़्त डर लगता है..?
या तुम्ही भी सोचती हो कि कोई संभाल लेगा तुम्हे...?
या तुम्हे भी लगता है कि सपने देखना पाप है..?
या तुम भी सोचती हो कि सारे ख्वाब...