...

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अधूरे अल्फ़ाज़
हर दर्द की दवा हो यह ज़रूरी नहीं
हर सफ़र में हमसफ़र मिले, यह ज़रूरी नहीं.
बह गए कई मासूम मोहब्बत के सैलाब में
हर चिराग़ से बज़्म रोशन हो, यह ज़रूरी नहीं.

मोहब्बत का सबब सुकून दे ज़रूरी नहीं
होश खोकर कोई मदहोश हो जायें, ज़रूरी नहीं.
इश्क़ की बारिश भीगो दे ये ज़रूरी नहीं
अजनबी शहर में अपना कोई हो, यह ज़रूरी नहीं.

रूठ के चले जाने का हक़ भी है तुम्हें
क़यामत तक हम साथ साथ चले, यह ज़रूरी नहीं.
अधूरे है कुछ अल्फ़ाज़ होंठों तक पहुँचकर
दिल की हर बात, रूह को छू जाये, ये ज़रूरी नहीं.
© Praveen Yadav @SoulWhispers