क्या तुम भी
क्या तुम भी मेरे दिल को
तोड़ने आए हो
कब से बिखेरे बैठी हूं मैं
अपनी इस जिंदगी को
क्या तुम भी
मुझे दर्द देने आए हो!!
एक उम्र गुजार दी मैंने
तन्हा रहते रहते
क्या तुम भी
मेरी तन्हाई को
दोगुना करने आए हो!!
तुम्हारे आने से एक उम्मीद
जगी है इस दिल में
क्या तुम भी इन उम्मीदों को
तोड़ने आए हो!!!
मैं तो कब की मार चुकी हूं
मोहब्बत की चाह रखना
क्या तुम भी मुझे
जिंदा लाश बनाने आए हो!!!
तोड़ने आए हो
कब से बिखेरे बैठी हूं मैं
अपनी इस जिंदगी को
क्या तुम भी
मुझे दर्द देने आए हो!!
एक उम्र गुजार दी मैंने
तन्हा रहते रहते
क्या तुम भी
मेरी तन्हाई को
दोगुना करने आए हो!!
तुम्हारे आने से एक उम्मीद
जगी है इस दिल में
क्या तुम भी इन उम्मीदों को
तोड़ने आए हो!!!
मैं तो कब की मार चुकी हूं
मोहब्बत की चाह रखना
क्या तुम भी मुझे
जिंदा लाश बनाने आए हो!!!