मुफलिसी की मार।
दवा किसी ने दी,
महंगे हकीम की,
अच्छा खासा था वो,
हो गया बीमार।
देखो फूटी किस्मत,
क्या आ गई नौबत!
एक तो मकां जर्जर,
और जलजले की मार।
एक रोज शर्द रात,
ठिठुरे थे जज्बात।
चादर किसी ने दी,
रहा मरते...
महंगे हकीम की,
अच्छा खासा था वो,
हो गया बीमार।
देखो फूटी किस्मत,
क्या आ गई नौबत!
एक तो मकां जर्जर,
और जलजले की मार।
एक रोज शर्द रात,
ठिठुरे थे जज्बात।
चादर किसी ने दी,
रहा मरते...