आंसुओं की जुबानी।
दिल करता ही कभी कभी,
न बोलूं किसी से।
न बोले कोई मुझसे।
बस एकांत हो साथ मेरे,
मैं न मिलूं किसी से।
दिल करता है कभी कभी,
जी भर के रो लूं मगर,
इजाजत नहीं मुझे आंसुओं की।
वैसे भी अब आंसू नहीं निकलते बाहर।
झांकते हैं, कभी कभी झरोखे से,
जानते हैं उनका कोई मोल नहीं।
कोई उनसे...
न बोलूं किसी से।
न बोले कोई मुझसे।
बस एकांत हो साथ मेरे,
मैं न मिलूं किसी से।
दिल करता है कभी कभी,
जी भर के रो लूं मगर,
इजाजत नहीं मुझे आंसुओं की।
वैसे भी अब आंसू नहीं निकलते बाहर।
झांकते हैं, कभी कभी झरोखे से,
जानते हैं उनका कोई मोल नहीं।
कोई उनसे...