गुरु रखे सेवक की लाज
था पीताम्बर गुरु सेवक,निष्ठा पूर्वक सेवा करता,
गुरु की सेवा के अलावा मन कही और न लगता।
दिन रात का भान नही गुरु की सेवा में ही जगता।
जलते सब अन्य सेवक,वह सबसे त्रस्त होता।
फटे वस्त्र को देखकर उसके,गुरु ने किया वस्त्र उपहार।
गुरु वस्त्र उसे धारण देख,करते सब उसका तिरस्कार।
शिष्य को कष्ट में देख,गजानन ने किया एक विचार।
जाओ कहीं पीताम्बर तुम,बनो भक्तों के पालनहार।
आंखों में अश्रु लेकर चलता,मुड़ मुड़ देखे मठ के द्वार।
कोंडोली के आम वृक्ष तले किया गुरु नमन बारम्बार,
चींटियों से होकर त्रस्त, शाखा बदली बारम्बार।
इस प्रदर्शन से लोग शंकित,परिचय मांगा सविस्तार।
गजानन के शिष्य कहने पर,लोगो को परीक्षा का विचार।
अगर शिष्य हो गजानन के,लाओ शुष्क वृक्ष में बयार।
परीक्षा में होने सफल,किया स्मरण गुरु का निडर।
आम वृक्ष पर पत्ते लाइये,मुझे भरोसा है गुरु पर।
शिष्य की भक्ति से वृक्ष पर,नवीन पत्ते उगे हज़ार।
गुरु की महिमा से शिष्य ने पाया,गुरु सा आदर और सत्कार।
शिष्य के काम करने को,गुरु प्रगटते उनके द्वार।
हर्षित होकर लोगो ने, पीताम्बर की भक्ति अपार।
गुरु ने रखी सेवक की लाज,जय श्री गजानन महाराज।
उस वृक्ष में आज भी फलता,बाकीयों से ज्यादा आम।
संजीव बल्लाल ९/३/२०२४© BALLAL S
गुरु की सेवा के अलावा मन कही और न लगता।
दिन रात का भान नही गुरु की सेवा में ही जगता।
जलते सब अन्य सेवक,वह सबसे त्रस्त होता।
फटे वस्त्र को देखकर उसके,गुरु ने किया वस्त्र उपहार।
गुरु वस्त्र उसे धारण देख,करते सब उसका तिरस्कार।
शिष्य को कष्ट में देख,गजानन ने किया एक विचार।
जाओ कहीं पीताम्बर तुम,बनो भक्तों के पालनहार।
आंखों में अश्रु लेकर चलता,मुड़ मुड़ देखे मठ के द्वार।
कोंडोली के आम वृक्ष तले किया गुरु नमन बारम्बार,
चींटियों से होकर त्रस्त, शाखा बदली बारम्बार।
इस प्रदर्शन से लोग शंकित,परिचय मांगा सविस्तार।
गजानन के शिष्य कहने पर,लोगो को परीक्षा का विचार।
अगर शिष्य हो गजानन के,लाओ शुष्क वृक्ष में बयार।
परीक्षा में होने सफल,किया स्मरण गुरु का निडर।
आम वृक्ष पर पत्ते लाइये,मुझे भरोसा है गुरु पर।
शिष्य की भक्ति से वृक्ष पर,नवीन पत्ते उगे हज़ार।
गुरु की महिमा से शिष्य ने पाया,गुरु सा आदर और सत्कार।
शिष्य के काम करने को,गुरु प्रगटते उनके द्वार।
हर्षित होकर लोगो ने, पीताम्बर की भक्ति अपार।
गुरु ने रखी सेवक की लाज,जय श्री गजानन महाराज।
उस वृक्ष में आज भी फलता,बाकीयों से ज्यादा आम।
संजीव बल्लाल ९/३/२०२४© BALLAL S
Related Stories