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जंजीर
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
इस जेल को छोड़कर,
बहुत देर होइ इस जेल में रेहकर,
दुनिया बदल गई हमरा भोलापन
देखकर,
अभी हसता हु में खुदकी गलतियों को सोचकर,
ना जाने कोनसा वो पल था जब में गया उस जेल में खुला आसमान छोड़कर,
बस अब बहुत दिन निकाले तुम्हारे इस जेल में अभी चलता हूं फिर कबि न आऊंगा इस रास्ते मोड़कर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
इस जेल को छोड़कर,
बहुत देर होइ इस जेल में रेहकर,
दुनिया बदल गई हमरा भोलापन
देखकर,
अभी हसता हु में खुदकी गलतियों को सोचकर,
ना जाने कोनसा वो पल था जब में गया उस जेल में खुला आसमान छोड़कर,
बस अब बहुत दिन निकाले तुम्हारे इस जेल में अभी चलता हूं फिर कबि न आऊंगा इस रास्ते मोड़कर
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