...

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मिलन
प्यासे लबों को प्रिय, आज बरस जाने दो
कलियां गुलाब की है, इन्हें खिल जाने दो,

कब से तरस रही थी बस एक छुअन को
बन कर बदरा प्यार के छलक जाने दो,

न रहे कोई बंदिश न दरमियां बीच अपने
यूं जज़्बातों का मिलन, आज हो जाने दो,

तुम्हारी बांहों के घेरे में, ख़ुद को समेट लूं
आज यौवन की दहलीज पार कर जाने दो,

सदियों तरसे नैना तड़पे, आग जलती रही
तड़पन दो प्यासे दिलों की, मिट जाने दो,

सिमटी तुम्हारी बांहों में, महफूज़ हूं मैं
न रोको मुझे अब, तुम्हारा बन जाने दो,

मीलों प्यासी भटकी, सीने से लग जाने दो
कलियां गुलाब की बांहों में बिखर जाने दो!

© सुधा सिंह 💐💐