...

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पृथक पृथक है रंग 🙃❣️❣️
पृथक पृथक उत्तर होंगे,
पृथक पृथक परिभाषा,
पृथक पृथक रंग होंगे,
और पृथक पृथक है आशा,

पूछोगे संत से तो बोलेगा
सत्संग सा कोई रंग नहीं है,
पूछोगे नेता से तो बोलेगा,
सत्ता सा कोई रंग नही है,

पूछोगे प्रेमी से तो बोलेगा,
उसके चेहरे सा कोई रंग नहीं है,
पूछोगे वणिक से तो बोलेगा,
पैसे सा कोई रंग नहीं है,

पूछोगे नारी से तो बोलेगी,
मेहंदी सा कोई रंग नहीं है,
पूछोगे व्यभिचारी से तो बोलेगा,
उसके तन सा कोई रंग नहीं है,

जो पूछोगे खुद से कभी,
तो पाओगे जीवन में कोई रंग नहीं है,

(अलग अलग है लोग सब ,सबका अलग अलग है ढंग,
खुद के बारे में बात करूँ चेहरा अभी ब्लर है,
और साफ़ ही नहीं हो रहा रंग😇😇🤗)




© सौ₹भmathu₹