कविता
दिल की कलम से
जज़्बातों के कागज़ पर
जब भावों का सागर उमड़ता है
जब बूंद भर स्याही में
सैलाब सा उतरता है
जब मन पर्वतों की ऊँचाई
और समुद्र की गहराइयों से बात करता है
फिर लिखा जाता है एक महाग्रंथ सा भावों का
जिसको ज़माना कविता कहता है
तेरा प्रेम वही कविता है
© Garg sahiba
जज़्बातों के कागज़ पर
जब भावों का सागर उमड़ता है
जब बूंद भर स्याही में
सैलाब सा उतरता है
जब मन पर्वतों की ऊँचाई
और समुद्र की गहराइयों से बात करता है
फिर लिखा जाता है एक महाग्रंथ सा भावों का
जिसको ज़माना कविता कहता है
तेरा प्रेम वही कविता है
© Garg sahiba