...

5 views

तुम तक पहुँचती है मेरी प्रार्थनाएं
हे ईश्वर.....

तुम तक पहुंचती हैं
मेरी प्रार्थनाएं.... क्या....?

मैंने जिन भावों को शब्द नहीं दिए
क्या तुम सुन पाते हो.... वो भी......!
मालूम नहीं,
किंतु,,
मुझे तुम्हारे जवाब की प्रतीक्षा भी नहीं है...

हाथ जोड़कर
शीश नवाकर
आज एक आग्रह कर रही हूँ
तुमसे -

अगली बार मुझे
प्रकृति की गोद में जनम देना
और ऐसा जनम देना
जो कभी मृतप्राय न हो....
और अगर हो
तो भी सबके हृदयों में
सदियों तक जीवंत रह सके.....!

मुझे देखना है फूलों की
एक एक पत्ती का धीरे-धीरे खिलना
मुझे चूमनी है कलियों की पलकें
स्पर्शना है पेड़ों का खुरदुरापन
मुझे सुननी हैं झरनों की धड़कन
महसूसना है...