...

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हाए मैं भी पियाला-ए-शराब-घर होता
मेरे दिल की ज़मीं के बस में गर होता,
तो मेरा मन खुशियों के अब्र पर होता,

ये ख् वाहिशें यूं ही गला न घोंटती मेरा,
मेरे दिल को इश्क़ में गर सब्र भर होता,

बातें तो बहुत की थी फासलों में भी,
वादे भी...