...

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इश्क़ ए माँझा तेरा...
इश्क़-ए-माँझा तेरा मेरे दिल की पतंग को उड़ा रहा है,
नैनों से कर चोरी ज़ालिम,मुझसे मुझ ही को ठगा रहा है,
हौले-हौले से दिल-ए-आसमां में हर ख़्वाब को सजा रहा है,
सियाह गलियारों में एक नया दाग़-दाग़ सवेरा रचा रहा है,
वो मेरी...