...

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बड़ी जल्दी थी तुमको
मैंने तुम्हारा नाम पूछा था
तुमने कहा,
क्या करना है तुमको ,
मैंने कहा माला बनवानी है,
जपना है तुमको?
तुम थोड़ी लजाई थीं
जाने क्या गुनगुनाई थीं
अदा में मुख फेर के
कुछ यूं उंगलियां दबाई थीं।
♥️😌😌😌😌♥️

माथे पे बिंदिया
थोडी पे काला तिल
और केशों में गजरा .... अह्हा
क्या खूब जच रहा था
तीखी नजरें
ऊपर कटार जैसी भृकुटि का पहरा
मुख पे थोड़े सा केश
कोई व्यूह रच रहा था
🪷🪷🦚🪷🪷

आंखे तो खुली थी
पर चेत न थी मुझको
किसलिए मैं आया था
और क्या कहना था मुझको
गांव की सुबह सी थी
या शहर की शाम थी
चारो ओर शोर था
या थी घनी शांति
फिर तुम उठी
और बोली
देर हो रही है
अब जाना है मुझको
मैंने बेचैन मन से कहा
बस दो पल और रुको
तुम ज़रा पास आई
मोती जैसे आंखों की
पलके झुकाई
फिर ज़रा मुस्काई
और बोली
अब जाने दो मुझको,
......
मेरा वक्त ठहर गया था
और बड़ी जल्दी थी तुमको
🌹🌹🌹💌🌹🌹🌹
ध्रुव 🖋️
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