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पढोगे नही तो फिरोगे फटफटाये🤗😆
फितरत हमारी थी संजीदा बेहद
दरख़्तों पर हमने घरोंदे बनाये
फिर आते गए तूफ़ां धड़ाधड़
हम ज़मी पे गिरे औऱ जड़ बन गए फिर
कोपल अभी भी.. थी खौफ़ में कि
फिर ढह गए तो होगी कयामत
पड़ी धूप दिनों दिन हम फटफटाये
हम धनी छावं में थे औऱ मुस्कुरा दिए फिर
तरसते को हमने हँसना सिखाया
बिलखते को हमने गुनगुनाना बताया
ठंडी हवा में फिर सरसराये
खुदा की थी मर्ज़ी औऱ खुद खुदा हो गए फिर
हाँ मैं शिव ही हूँ❤️🦋🤗😇
© pari
दरख़्तों पर हमने घरोंदे बनाये
फिर आते गए तूफ़ां धड़ाधड़
हम ज़मी पे गिरे औऱ जड़ बन गए फिर
कोपल अभी भी.. थी खौफ़ में कि
फिर ढह गए तो होगी कयामत
पड़ी धूप दिनों दिन हम फटफटाये
हम धनी छावं में थे औऱ मुस्कुरा दिए फिर
तरसते को हमने हँसना सिखाया
बिलखते को हमने गुनगुनाना बताया
ठंडी हवा में फिर सरसराये
खुदा की थी मर्ज़ी औऱ खुद खुदा हो गए फिर
हाँ मैं शिव ही हूँ❤️🦋🤗😇
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