...

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उफ़, ये मोहब्बत!🌺♥️♥️
है नेमत ए खुदा मोहब्बत, जान‌ लीजिए हुज़ूर,
गर मिल जाए सच्ची, ये ज़िन्दगानी संवर जाए,

यूं तो मोहब्बत में अंधा हो ही जाता है आदमी,
दिखता है यार फिर हर सूं,जहां तक नज़र जाए,

आएं जो सनम पायल छनकाते नज़रों के सामने,
गुलों की पंखुड़ियां आसमां में बस बिखर जाएं,

और मुस्कुरा दें वो कनखियों से देख के यार को,
मौसम ए दिल और रंगत ए रूह भी निखर जाए,

फिर भी कहता है शायर, सब्रो इत्मीनान रखिए,
ऐसा न हो हाथ छूट जाए, मोहब्बत बिछड़ जाए,

हमेशा साथ ही अच्छा लगता है हंसों का जोड़ा,
न हो जुदाई ऐसी कि वो मिलने को तड़प जाए,

अव्वल तो न हों वादे इरादे मोहब्बत के साहेब,
और अगर हो कभी तो फ़िर इक उम्र गुज़र जाए!
🌺♥️🌺♥️
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal