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आइना रखता नहीं...💔💔✍️✍️(गजल)
दर्द मेरे दिल का रुकता नहीं
वो जुल्म करके थकता नहीं

सच्चाई आ जायेगी सामने
इसलिए वो आइना रखता नहीं

टुकड़े तेरे भी किये जमाने ने
तू तो बिल्कुल सिसकता नहीं

चल आइने चलते हैं कहीं भी
यहां तो कोई समझता नही

क्या कहूं गुलशन मेरा 'सत्या'
पहले की तरह महकता नहीं

काश वो भी होता आइने जैसा
तो मैं यूं तन्हा तड़पता नहीं

तेरे अन्दर प्रतिबिम्ब किसका
खुद में देखूं तो दिखता नहीं

सुना है दीवारों के होते हैं कान
पर मेरी तो कोई सुनता नहीं


© Shaayar Satya