...

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संसाधन
सेवा के लिए विवश,
धर्म के लिए विवश,
इसलिए हमारा महत्व नहीं,

सेवा करते करते,
हमारा वंश आंखों के सामने घट गया,
हमें सिर्फ यादों की व्यथा है,
बहुतों के वंश विलीन हो गए,

हमारा रक्षक जो तुम हो,
इसलिए हम घट रहे हैं,
विलीन हो रहे हैं,
अक्सर सेवक के
कपाल पर ' महत्व ' की लकीर नहीं,
फिर से हम वंश बढ़ाएंगे,
घटने के लिए,
विलीन होने के लिए,
"जब तुम नहीं रहोगे",

विलय के बीज से प्रलय होगा,
सेवक को स्वामी के आंखों में आंसू स्वीकार नहीं ।



© Aditya N. Dani #writercoapp #writer