...

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बस इक तुम्हारा चहेरा, इक तुम्हारी आंखें
टूटे हवा के पर से उसका नाम लिख दू...
हाथों का पत्थर भी तेरे नाम कर दू,
नाम तीर बनकर उतर जाए तुम्हारी रूह में
हर रंग से मौसम तुम्हारे नाम, ऐसा नाम लिख दू...

तुम्हारी ज़ुल्फो की छाव से सूरज (रवि) टूट के बिखर गया...
तुम्हारा साथ ज़िन्दगी में सूरज का सफ़र हो जाए
वीरान शहर मुहब्बत के ख़्वाबों से बसर हो जाए
कमबख्त दिल भी शख़्स को मेहमान बना जाएगा..

चांद दहलीज रात की तोड़ आएगा..
कागज़ गुलाब का जाम, बालों में सजा जाएगा
ज़ख्म पट्टी पहन अश्कों के खजानों में खो जाए...
हसीन बादलों में तुम्हारा चहेरा, ख़्वाबों का सौदा तक कर जाएगा....