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जय श्री कृष्णा
कान्हा तेरी बंशी के सुर, क्हां खो गये हैं
तेरे थिरकते कदम , जाने क्यूँ सो गये हैं
तेरे इंतजार में जीना मुश्किल हो गया है
मेरे आँसू , यमुना तट तक भिगो गये हैं
छोड कर गया था तू ,बाल सखाऔं को
बडे हो गये, पर सभी सुदामा हो गये हैं
कंस को मारा पर बुराई का अंत नहीं है
उसके खानदान में,सभी कंस को गये हैं
जो हालात राधाऔं,मीराऔं, गोपियों के
यशोदा,देवकी तुझे बुलाने को रो गये हैं
जिधर देखो उस ओर,महाभारत मचा है
अपने पापो को भी छुपाने,छुप वो गये हैं
कान्हा ले नया जन्म,उद्धार कर सभी का
देवेश माला में आंसू - मोती पिरो गये हैं
S.K.BRAMAN
© दिल की बात शायरी से
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