...

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जिंदगी का खेल
जिंदगी एक खेल है ,
इन राहों पर निकलती है ,
रूबरू हुए बहुत लोगों से ,
कभी किसी प्यार दिया ,
तो कभी नफरत ,
कभी सामना हुआ सत्य से ,
तो कभी रूबरू हुए असत्य से ,
कभी मिले हम वफा से ,
तो कभी मुलाकात हुई बेवफाई से ,
कहीं जिंदगी ने फूल बरसाए ,
तो कहीं कदमों में कांटे कांटे चुभाए ,
कभी आसमां में ऊंचा उड़े ,
तो कहीं जमीन पर गिर पड़े ,
यह जिंदगी है साहब ,
सभी की समझ के बाहर ,
कभी भी रुख मोड़ सकती है ,
संभलकर कदम रखना ,
कभी दुख ,
तो कभी भी खुशी दे सकती है।।।।।।


अमनदीप कौर