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किसी मुलाकात में
किसी मुलाकात में जब
मोहब्बत का इज़हार हो
बची हुई हया
होंठों के पार हो
किसी रोज हम ऐसे सँवरे
जैसे हर दिन जश्न और त्योहार हो
तेरे आने से मेरी सुबह
तू जाए ढलकर शाम हो
तुझे देख हम गुनगुनाएं
तुझे देखने से मेरा आराम हो
तेरे आने से खुशियाँ
और रौशन बहार हो
कुछ ऐसा हो जाए
की हाथों में फूलों की हार हो
किसी मुलाकात में जब
मोहब्बत का इज़हार हो
© Karan
मोहब्बत का इज़हार हो
बची हुई हया
होंठों के पार हो
किसी रोज हम ऐसे सँवरे
जैसे हर दिन जश्न और त्योहार हो
तेरे आने से मेरी सुबह
तू जाए ढलकर शाम हो
तुझे देख हम गुनगुनाएं
तुझे देखने से मेरा आराम हो
तेरे आने से खुशियाँ
और रौशन बहार हो
कुछ ऐसा हो जाए
की हाथों में फूलों की हार हो
किसी मुलाकात में जब
मोहब्बत का इज़हार हो
© Karan
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