बच्चे अब बूढ़े होते जा रहें हैं
इश्क़ क्या है,हमें सिखा रहे हैं
बच्चे अब बूढ़े होते जा रहे हैं
मछली को पीठ पे बिठा बगुले
गड्ढे से दरिया में ले जा रहे हैं
बैठा है कल से कोयलों का गला
कल से महफ़िल में कौवे गा रहे हैं
बीबी दो दिन से मायके में है
साब दो दिन से मुस्कुरा रहे हैं
हाॅंफ कर थक गए जो घोड़े वो
गदहों के पीछे पीछे आ रहे हैं
रोल अमिताभ का हमें मिला और
हम फ़क़त पान ही चबा रहे हैं
वादा आज़ाद करने का था मगर
साब फिर से क़फ़स बना रहे हैं
देख लें साथ का असर 'जर्जर'
केंचुए साॅंप बनते जा रहे हैं
© जर्जर
बच्चे अब बूढ़े होते जा रहे हैं
मछली को पीठ पे बिठा बगुले
गड्ढे से दरिया में ले जा रहे हैं
बैठा है कल से कोयलों का गला
कल से महफ़िल में कौवे गा रहे हैं
बीबी दो दिन से मायके में है
साब दो दिन से मुस्कुरा रहे हैं
हाॅंफ कर थक गए जो घोड़े वो
गदहों के पीछे पीछे आ रहे हैं
रोल अमिताभ का हमें मिला और
हम फ़क़त पान ही चबा रहे हैं
वादा आज़ाद करने का था मगर
साब फिर से क़फ़स बना रहे हैं
देख लें साथ का असर 'जर्जर'
केंचुए साॅंप बनते जा रहे हैं
© जर्जर