...

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पहले जैसी चांदनी शाम 🤗
#MoonlitMagic

वो शाम का आना
वो चांद का आना बहुत याद आता है।
वो आंगन में चारपाई और चटाई पर
सबका इक्ट्ठा होना बहुत याद आता है।
वो शाम को चांद की चांदनी मे
मां का खाना बनाना बहुत याद आता है।
वो सब भाई-बहनों का इक्ट्ठे बैठकर
शाम का खाना, खाना बहुत याद आता है।
वो चांद की चांदनी में कुलर और फर्राटा लगाकर
सोना sk बहुत ही याद आता है।
वो रात को दादा-दादी नाना-नानी से
चांद सितारों की छांव में
कहानी सुनना बहुत याद आता है।
आज चांद भी वहीं है sk चांदनी भी वही है।
पर वो पहले जैसी शाम नहीं है।
पर वो पहले जैसी शाम नहीं है।
मन की आवाज ॐ
एस के हरियाणा 🕉️
15/5/2024



© Sudesh Chauhan (SK)