![...](https://api.writco.in/assets/images/post/user/poem/965231112124559724.webp)
11 views
सिर उठाओ और आसमान न मिले
सिर उठाओ और आसमान न मिले
सख्त ज़मीन पर पैर लड़खड़ाए
कुछ बिखरे बल्ब रोशनी फैला दे
फिर बना लो एक झूठा सँसार
एक बन्द तहखाना
काँचो की चार दीवारी
कुछ पा लो और इन्द्रियाँ तृप्त हो जाये
और चक्र ऐसा ही चलता जाए
निकलो तहखाने से
शोर मचाओ
कुछ न पाया हो
तो भी जश्न मनाओ
आज़ाद हो
लंबी साँस लो
सोचो गर सिर उठाओ आसमान न मिले
सख़्त जमीन पर पैर लड़खड़ाए।
© Karan
सख्त ज़मीन पर पैर लड़खड़ाए
कुछ बिखरे बल्ब रोशनी फैला दे
फिर बना लो एक झूठा सँसार
एक बन्द तहखाना
काँचो की चार दीवारी
कुछ पा लो और इन्द्रियाँ तृप्त हो जाये
और चक्र ऐसा ही चलता जाए
निकलो तहखाने से
शोर मचाओ
कुछ न पाया हो
तो भी जश्न मनाओ
आज़ाद हो
लंबी साँस लो
सोचो गर सिर उठाओ आसमान न मिले
सख़्त जमीन पर पैर लड़खड़ाए।
© Karan
Related Stories
11 Likes
4
Comments
11 Likes
4
Comments