हम चाहते हैं जिनको वो पास नहीं रहते ।
हम चाहते हैं जिनको वो पास नहीं रहते
दाइम' किसी की ख़ातिर हम ख़ास नहीं रहते
अब लोग बदलने में याँ वक़्त लगाते नइँ
ख़ुद-ग़र्ज़ ज़माने में इख़्लास नहीं रहते
जब प्राण पखेरू चल पड़ते हैं गगन की ओर
तब साँस नहीं रहती, एहसास नहीं रहते
मुफ़लिस की गली से...
दाइम' किसी की ख़ातिर हम ख़ास नहीं रहते
अब लोग बदलने में याँ वक़्त लगाते नइँ
ख़ुद-ग़र्ज़ ज़माने में इख़्लास नहीं रहते
जब प्राण पखेरू चल पड़ते हैं गगन की ओर
तब साँस नहीं रहती, एहसास नहीं रहते
मुफ़लिस की गली से...