khyal-e-Dil
अपने गुलशन ए हयात को हरगिज़ सजाए रखना
अँधेरी रातों को भी तुम जुगनू सा सजाए रखना
अब मैं रहूँ या ना रहूँ इस जहाँ में लेकिन
तुम अपने होंठों पे ताज़गी...
अँधेरी रातों को भी तुम जुगनू सा सजाए रखना
अब मैं रहूँ या ना रहूँ इस जहाँ में लेकिन
तुम अपने होंठों पे ताज़गी...